Document Abstract
भारतीय समाज के विकास में स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक है जिसे प्रकृति ने स्वीकृत किया जितनी महत्वपूर्ण भूमिका पुरुष की है उतनी ही महिला की भी होती है स्त्री और पुरुष के बिच विभिन्नता को सामान्य रूप से जेंडर कहा जाता है जिसका आधार शारीरिक न होकर सामाजिक सांस्कृतिक होता है