Document Abstract
भारत में विद्यालयीन शिक्षा का गौरवशाली इतिहास रहा है। भारत में प्राचीन काल
में गुरूकुल पद्वति के आधार पर विद्यालयीन शिक्षा दी जाती थी। कालांतर में भारत पर
विदेशी शासकों के शासन का प्रभाव हमारी शिक्षा पद्वति, विशेष रूप से विद्यालयीन शिक्षा
पर पड़ा। अंग्रेजों का भारत पर बहुत लंबे समय शासन होने के कारण अंग्रेजी शिक्षा,
विशेष रूप से मैकालेकी शिक्षा पद्वति का बहुत अधिक प्रभाव आज भी है।
मुगलों के शासनकाल में उनकी धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु शिक्षा को संचालित
किया गया। अंग्रेजो के शासनकाल में विशेष रूप सेलिपकीय शिक्षा को प्रदान करने हेतु
विद्यालयीन शिक्षा को संचालित किया गया।
स्वतंत्र भारत में शिक्षा का बहुत अधिक विकास हुआ। विशेष रूप से विद्यालयीन
शिक्षा हेतु अनेक प्रयास किये गये। विद्यालयीन शिक्षा को उत्कृष्ट बनाने के लिये विभिन्न
आयोगो एवं समितियो का गठन किया गया। अनेक परियोजनाओं के माध्यम से भी
विद्यालयीन शिक्षा को उत्कृष्ट बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
आधुनिक भारत में विद्यालयीन शिक्षा को उत्कृष्ट बनाने की दृष्टि से केन्द्रीय
विद्यालयों एवं जवाहर नवोदय विद्यालयों का उदय हुआ। दांेनो ही प्रकार के विद्यालय
केन्द्र शासन के माध्यम से संचालित किये जाते है। प्रस्तुत शोध लेख में केन्द्रीय एवं
नवोदय विद्यालयों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की शैक्षणिक उत्कृष्टता को प्रभावी बनाने में
योगदान का अध्ययन किया गया है। बहुत हद तक छत्तीसगढ़ की शैक्षणिक उत्कृष्टता
को इन दोनो ही प्रकार विद्यालयों के माध्यम से प्रभावी बनाया जा रहा है।