Document Abstract
तेज़ी से बदलती हुईं आधुनिक शक्तियाँ समाज की प्रमुख संस्थाओं को मिरच्तर प्रभावित
करती रही हैं। फलस्वरूप वे संस्थाएँ जिनकी उत्पत्ति व विकास की क्रमिक प्रक्रिया रही औररू
कालास्तर में निश्चित स्वरूप को प्राप्त हुईए इनके प्रभाव से अपनी मौलिकता को परिवर्तित
होने से रोक न पायीं । विवाहए परिवारए जातिए धर्मए संस्कृतिए मनोरंजतए सामाजिक संस्थाओं
तक सीमित न रहे । वे जनजातियाँ जो इन सब शक्षितयों के प्रभाव से अछूतीए दुर्गंम वन प्रदेशों
में अपनी संस्थाओं की मौलिकता एवं संस्कृति की प्राचीनता को बनाये हुए थींए इनकेश् सम्पर्क
में आकर परिवततेन के शाश्वत नियम को स्वीकार करने लगी हैं ।